Sunday, 10 February 2008

Another poem for my daughter!!

It is one of the poems I wrote for my daughter. It was in series to my earlier poem itself and feel that I should put it down for long keep. Date of creation----24th December, 2005 Saturday


मेरे भरे पूरे घर में इश्वर ने बना दिया इक झरोखा,

उसमें से इक नरम रेशमी किरण का आगमन होगा.

वो किरण मेरी बिटिया तुम ही होंगी,

मेरी सारी अधूरी आसें अब पूरी होंगी.


सोचती हूँ मैं की इस नन्ही परी की क्या अच्छी माँ बन पाऊँगी

इस जग में भरे सय्यादों से कैसे तुम्हें बचाऊंगी?

प्रभु मुझे धैर्य और हिम्मत प्रदान करें,

अपना संसार तुम खुद रचो ऐसा प्रावधान करें.


तुम्हारा सलोना मुखड़ा जाने कैसा होगा?

चन्दा से उधार लिया इक टुकड़ा, ऐसा होगा.


तुम्हारे दो नैनों में जाने कितने ही अनुराग होंगे,

मेरा जीवन रोशन कर दें ऐसे दो चिराग होंगे.


सतरंगी सी इक छोटी मुस्कान तुम्हारी,

इन्द्रधनुष सी हो जायेगी ज़िन्दगी हमारी.


कर्म स्त्रोत दो कोमल से हाथ तुम्हारे,

जाने मेरे गालों को छूकर लगेंगे कितने प्यारे?


उन्नति के पथ पर ले जाएँ ये दो नन्हें कदम तुम्हारे,

कर्तित्व और विवेक रहें सदा हमदम तुम्हारे.


माँ का आँचल और पिता का साया,

तुम्हारे स्वागत में है हमने पलकों को बिछाया.

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