Thursday, 21 January 2010

My return to India after 2 years.

I guess most of us who come back to India after some time abroad in the west, go through the same feelings that I have tried to pen down in a small poem here. Now I am back to my ususal self but initial few days back home were tough. That is when I wrote this poem. Now when I read it I laugh at myself. Now it seems fun though, then it wasn't. But as my blog is called "Memoirs" I need to put it here.

मातृभू ने मेरा किया स्वागत,
मन झूम उठा देख मेरा महान भारत.

स्वागत किया मेरा कुछ रुंधे से कंठ ने,
कहीं किसी कोने में सड़ते कूड़े की गंध ने,
फूलों से मुस्कुराते चेहरों ने,
उडती हुई धुल और मिटटी के ढेरों ने.

स्वागत किया कुछ नम-सी भीगी पलकों ने,
सड़क पर खुदे हुए गड्ढों से लगते झटकों ने.
स्वागत किया कुछ दबी तो कुछ उभरी उमंगों ने,
गाड़ियों के शोर से उठती ध्वनि की तरंगों ने.

स्वागत किया अपनों के बरसते हुए प्यार ने,
बिना नियमों के चलती गाड़ियों की कतार ने.
अच्छा है बुरा है, जैसा भी है यह देश मेरा है,
यहाँ बरसते प्यार में ही जीवन का सवेरा है.

सारे जहां में, हर परदेस में, सुख है, सुविधा है,
कहाँ रहूँ कब तक रहूँ, मन में बस यही दुविधा है.

क्या करूँ, हालत हो गई है धोबी के कुत्ते जैसी,
न घर की ही रही न ही अपना कोई घाट है,
मन को लुभाती है सोने की नगरी लंका जैसी,
वहां का सुख, वहां की बातें, सब में निराला ठाठ है.

कभी कभी मन धिक्कारता है कि अपना महान देश दूर से ही क्यों लुभाता है,
पर गंदे घर में, प्रदूषण और धुंए की गर्द में,
साँस लेने में और बिमारी को पास बुलाने में दिल बड़ा घबराता है.

1 comment:

YADAV PATHOLOGY LAB said...

Bahoot khoob Abha Ji !!!!
You are such a talented writer and a typical emotional and loving Indian.
I fully enjoyed reading your Kavita/poem esp your masterly selection of beautiful hindi words/dictations.
Whatever you expressed in words on your return from England is justified and correct but still in India only you can find overwhelming love and affection in the society in forms of social gatherings ,festivals, marriages,rallies,mohallas and street corner nukkad sabhas and gatherings etc. of all folks now and then round the year.
We Indians only have the richest heritage and culture in the whole world.

Keep it up..........,
Regards and best wishes,
dr.s.s.yadav.