Thursday, 24 January 2008

my most creative time

I am not a great writer but I think that if ever there was a creative time in my life then it was the time when I was pregnant with my second child….my sweet little daughter. She is just two years old now and always keeps me on my toes. But when she was an unborn child I was a very happy pregnant mother in the last trimester of my pregnancy. I had only positive thoughts, and nothing negative about anyone entered me. I also had a strong spiritual inclination at that time. Whatever I thought or did was just pure and good. I also had achieved the ability to think clearly (which is long lost now). I am normally an ordinary person. Only as spiritual as anyone else might be and only as good as any normal human being would be. But that best phase of my life I attribute to my then unborn daughter. Though she is not a miracle baby, but for me, at that time she worked wonders. In those days I tried to pen down some of my thoughts in the form of poetry which I am posting here. I had never written before, yet I did a pretty good job I think. Let me know what you think. date of creation---21st December 2005, Wednesday.



एक छोटी सी परी का इंतज़ार है,

उस के लिए दिल में उमंगें हजार हैं.

इश्वर ने जाना है मेरे मन का उतावलापन,

इसलिए तो पूरा किया मेरा संसार है.



छोटी सी गुडिया बनकर महकाना मेरा आँगन तुम,

मेरी दुआओं और अपनी हिम्मत से चूम लेना सारा गगन तुम.

माँ की आँखों की आभा बन जाना तुम,

पापा और भैय्या विष्णु का दुलार पाना तुम.



दादा-दादी, नाना-नानी सब का बनो सदा गर्व तुम,

सर्वस्व को भी पूर्ण कर दो ऐसी हिम्मत रखना तुम.

पापा चाहते बनो तुम खेल सितारा,

भैय्या विष्णु रहे हमेशा सुभद्रा का सहारा.



मझधारों में भी लहरों से न डरना तुम,

साहिल मिल जायेगा, कोशिश करना तुम.

पंख पसार कर ऊंची उड़ान भर लेना तुम,

बुद्धि विवेक रहें तुम में इतना बस कर लेना तुम.



माँ तकती है राह तुम्हारी,

इतने चेहरों में खोजती है सूरत तुम्हारी.

बार बार सोचती हूँ,फिर हंसती हूँ,

क्या तुम होगी छवि हमारी?



मेरा बचपन बीता और आई जवानी,

तुम्हारा बचपन याद दिलायेगा कोई कहानी.

प्रीतम की गलियाँ और प्यार भी निराला है,

पर तुम्हारा आना नया उजाला लाने वाला है.

2 comments:

मुकेश बंसल said...

ब्लोग संसार में स्वागत!

आज पहली बार तुम्हारा ये ब्लोग देखा। पुनः ये कविता पढ़ कर उन दिनों की याद ताजा हो गयी। तुम न केवल अच्छा लिखती हो, बल्कि उस अच्छे लेखन का अभिमान भी नहीं करती। ऐसी विनम्रता बनी रहे और तुम और बहुत कुछ लिखती रहो।

शुभ कामनाएं

Abc said...

Oh My God....
This is simpley great.. such a beautiful poem..i think u shud rite more often...
really appreciate and admire this..